यूँ तो राजस्थान किलों के लिए प्रसिद्ध है। राजस्थान के हर बड़े शहर में एक किला (दुर्ग) आपको अवश्य दिख जाएगा। परंतु राजस्थान के चित्तौड़गढ़ का किला अपने आप में बेहद खास है। चित्तौड़गढ़ का किला भारत का सबसे विशाल दुर्ग है। चित्तौड़गढ़ मेवाड़ राज्य की राजधानी थी। किले की चारदीवारी भी अपने आप में बेहद खास है। यहां आने वाले पर्यटकों में राजस्थान के निवासियों के अलावा भारत के अलग-अलग राज्यों के निवासी भी आते हैं। इसके अलावा देश-विदेश के तमाम सैलानी रोजाना हजारों की तादाद में यहाँ आते हैं। यह किला मौर्य राजवंश के सम्राट चित्रांगद मौर्य ( चित्रांग ) ने बनवाया था। यह एक विश्व विरासत स्थल है। मेवाड़ के प्राचीन सिक्कों पर एक तरफ चित्रकूट नाम अंकित मिलता है।
इस किले की बहुत प्रशंसा सुनने के बाद मेरा मन भी चित्तौड़गढ़ दुर्ग को देखने के लिए लालायित हो उठा था। बचपन में पुस्तकों में चित्तौड़गढ़ के किले के बारे में एक चित्र देखा था और कुछ कहानियां भी सुनी थी जो राजपूत राजा महाराणा प्रताप के बारे में थी। दरअसल जब मैं सन 2022 में मेवाड़ विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्य करने के लिए आया तो यह उत्सुकता और भी ज्यादा बढ़ गई थी। लेकिन शुरुआत में मेरे ज्यादा मित्र भी ना थे और विश्वविद्यालय में भी ढेर सारे कार्य के कारण मुझे जाने का अवसर न मिला। धीरे-धीरे समय व्यतीत होता चला गया लेकिन मन में एक ललक थी चित्तौड़गढ़ दुर्ग देखने की।
हुआ यूं कि मार्च 2023 में मैं बीए की क्लास का कोऑर्डिनेटर बना और तभी मुझे बी ए के समस्त छात्रों के साथ फोर्ट विजिट करने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ। मन में बहुत खुशी थी जिसे मैं बयां नहीं कर सकता क्योंकि कभी सोचा ही ना था कि मैं चित्तौड़गढ़ दुर्गा का भ्रमण कर पाऊंगा। सभी छात्र मस्ती के साथ विश्वविद्यालय की बस में बैठ गए। मैंने एक छात्र से सभी बच्चों की लिस्ट बनवा जिसने मोबाइल नंबर भी अंकित थे। लगभग 30 मिनट में बस चित्तौड़गढ़ पहुंच गई और वहां से ऑटो लेकर हम लोग चित्तौड़गढ़ किले की ओर निकल पड़े। छात्राएं और छात्र दोनों ही थे तो थोड़ा सा सफर कठिन सा रहा क्योंकि मैं अध्यापक जो था। मुझे मस्ती करने से परहेज करना पड़ा। अपना कारवां अब चितौड़गढ़ फोर्ट पर पहुंच चुका था बच्चों ने अलग-अलग तरह की नक्काशीदार मंदिरों को भी देखा। सभी छात्रों ने वहां विजय स्तंभ, पद्मिनी महल, जौहर स्थल, काली माता का मंदिर, कीर्ति स्तंभ, नीलकंठ महादेव का मंदिर, महावीर स्वामी का मंदिर, आदि का आनंद के साथ भ्रमण किया। मैं सभी छात्रों को वहां प्रत्येक स्थान के बारे में अलग-अलग विस्तार से बता रहा था। ज्यादातर जगहों पर तो शिलालेख लगे हुए हैं जो पुरातत्व विभाग में लगवा रखे हैं।
इसके बाद सभी छात्रों ने चित्तौड़गढ़ में प्रसिद्ध नमकीन और खाने का कुछ सामान खरीदा। बाद में हम विश्वविद्यालय की बस से वापस विश्वविद्यालय आ गए।और सभी छात्रों ने आकर विश्वविद्यालय के नीलकंठ महादेव मंदिर में एक समूह छायाचित्र लिया और अपने-अपने घर चले गए।
लेकिन यह चित्तौड़गढ़ की यात्रा बहुत ही सुखद महसूस हुई और सभी के मस्तिष्क पर एक यादगार पल छोड़ कर गई।
संपर्क :
प्रोफेसर जुगेन्द्र सिंह 'विद्यार्थी'
पता- खुशीपुरा, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
9759708798
prof.jugendrasingh@yahoo.com
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