छो टी-छोटी बातों को लेकर दुखी होना मनुष्य का सामान्य स्वभाव है। खुश होना भी इसी के दायरे में आता है। मतलब यह कि सुख और दुख जीवन के सहचर हैं। यह दोनों भाव मनुष्य में कभी-कभी व्यक्तिगत स्तर पर उभरते हैं तो कभी-कभी पारिवारिक स्तर पर। सामुदायिक स्तर या राष्ट्रीय स्तर पर इसका उभार विशेष परिस्थितियों पर निर्भर करता है। ऐसी विशेष परिस्थितियाँ कई प्रकार की होती हैं। यथा; व्यापक स्तर पर नाश और निर्माण। लेकिन विशेष परिस्थितियों वाले लक्षण जब सामान्य अवस्था में दिखाई देने लगें और गाहे-ब-गाहे कोई व्यक्ति इसे प्रकट करने की चेष्टा करे तो समझना चाहिए कि वह व्यक्ति आसानी से किसी को भी सम्मोहित करने की कला में पारंगत हो चुका है। आमतौर पर यह गुण अभिनय करने वाले कलाकारों में देखा जाता रहा है। सम्मोहन की इसी कला की वजह से अभिनेता दर्शकों के बीच मे लोकप्रिय होते हैं। यह तो हुई एक बात, दूसरी बात समय को लेकर है। समय इस सृष्टि की सबसे ताकतवर चीज है। यह समय की ही ताकत है कि ऊपर बताया गया गुण अभिनेताओं के अंतस्थल से निकलकर नेताओं और न्यूज़ चैनलों के एंकरों की ललाट पर आकर बैठ गया है। समय की इस ताकत ने उक्त ग...
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