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साधारण से असाधारण की यात्रा : रामनगीना मौर्य की कहानियाँ

लखनऊ निवासी प्रतिष्ठित लेखक रामनगीना मौर्य ने पिछले कुछ वर्षों में ‘आखिरी गेंद’, ‘आप कैमरे की निगाह में हैं’, ‘साॅफ्ट काॅर्नर’ व ‘यात्रीगण कृपया ध्यान दें’, ‘मन बोहेमियन’, ‘आगे से फटा जूता’ एवं ‘खूबसूरत मोड़’ जैसे बेहतरीन कहानी-संग्रह पाठकों के सुपुर्द किया है। कहानीकार शिवमूर्ति के विचारानुसार-‘‘रामनगीना मौर्य आम जिन्दगी की कहानियां कहते हैं। जहां से ये अपनी कहानियों के पात्र लाते हैं, वहां तक सामान्यतः अन्य कथाकारों की निगाह नहीं पहुॅचती या फिर वे उधर निगाह डालना जरूरी नहीं समझते।...इसीलिए मैं रामनगीना मौर्य को उपेक्षित और अलक्षित जिन्दगी का विशिष्ट कथाकार कहूंगा।’’- (खूबसूरत मोड़, दूसरी आवृत्ति, पृ-7) रामनगीना जी की कहानियां आम जीवन की छोटी-से-छोटी घटना, भाव, वस्तु तथा स्थिति को पकड़ लेती हैं तथा उनके माध्यम से जीवन के उन अनछुए पहलुओं को प्रकाशित करती हैं जिसे जिन्दगी को सरसरी नजर से जीने वाले साधारण लोग नजरअंदाज कर जाते हैं। इस मामले में आपके विषय चयन की बारीकी व अंदाज-ए-बयान की महीनता पाठक को बांधकर रख लेती है। घर-कार्यालय के साधारण क्रिया-कलाप तथा मामूली वस्तुओं को चुनते हुए आपने उस

प्रकृति, समाज, प्रेम, संस्कृति और नदियों को बयां करती कविताएँ

राकेश कबीर का कविता संग्रह ‘तुम तब आना’ चार विभागों में है। यह संग्रह लोकभारती प्रकाशन से प्रकाशित है। इस काव्य संग्रह में लगभग 97 कविताएं लिखी हैं जिसमें पहले विभाग में ‘ कुछ अपनी बात कहूं’, ‘प्रकृति के रंग’, ‘नीति, अनीति, कुनीति’ और कोविड : दूसरी लहर, मौत का मंजर है। इस संग्रह की कविताओं में रचनाकार ने कई बिंदुओं पर साहित्य के माध्यम से अपनी बात बड़े सरल तरीके से कही है जिसमें कोई लाग लपेट नहीं मिलती। इस संग्रह के रचनाकार का क्षेत्र बृहत् बड़ा है, जिसमें वे कई तरह के समाज से जुड़ते हैं और वही जुड़ना लेखक को चारों दिशाओं में देखने के लिए तैयार करता है। काव्य शास्त्र में विद्वानों ने माना है कि ‘ काव्य के मूल प्रेरक तत्व को काव्यहेतु कहते हैं। अर्थात सही मायनों में कहे तो काव्य का अनिवार्य एवं एकमात्र हेतु है – प्रतिभा , और व्युत्पत्ति तथा अभ्यास प्रतिभा के ही परिष्कारक, पोषक एवं संवर्धक हेतु हैं। ’ 1 (भारतीय तथा पाश्चात्य काव्यशास्त्र का संक्षिप्त विवेचन , अशोक प्रकाशन , पृष्ठ संख्या 17) अत: कवि की प्रतिभा , व्युत्पत्ति तथा अभ्यास इस काव्य संग्रह में हैं। इस संग्रह को जब पाठक पढ़ें

जीवन एक बहती धारा....

समीक्षक - जसविन्दर कौर बिन्द्रा लगातार साहित्य लेखन से जुड़ी सुधा ओम ढींगरा अपने नवीन कहानी संग्रह 'चलो फिर से शुरू करें' के साथ पाठकों के सम्मुख उपस्थित हुई हैं। लंबे समय से प्रवास में रहने के कारण सुधा जी के साहित्य में प्रवासी भारतीयों को मुखर रूप से देखा जा सकता है। उनसे जुड़े पारिवारिक रिश्तों व अन्य समस्याओं को कहानी के केंद्र में रखकर, भारत व प्रवासी संदर्भों के बीच पुल का काम भी करती है और पाठकों को वहाँ के परिवेश से परिचित भी करवाती है, जिनकी जानकारी हमें यहाँ बैठे नहीं होती। सामान्यतः भारतीयों को लगता है कि विदेशों और विशेषकर अमरीका में बसने वालों को भला कोई तकलीफ या परेशानी कैसे हो सकती है! 'वे अजनबी और गाड़ी का सफर' कहानी हमें एक ऐसे विषय से अवगत करवाती है, जिसे अक्सर फिल्मों व अंतर्राश्ट्रीय सीरियलों में देखा जाता है। दो भारतीय पत्रकार युवतियों ने एक चीनी युवती को यूरोपीय पुरुष के साथ रेलगाड़ी में जाते देखा परन्तु वह लड़की बहुत तकलीफ में प्रतीत हो रही थी। उन दोनों युवतियों ने किस होशियारी व सर्तकता से उस लड़की को ड्रग माफिया से मुक्त करवाया, वह कहानी पढ़ने से ही प