सारांश : इस शोधालेख के माध्यम से हिंदी साहित्य इतिहास लेखन के दौरान उत्पन्न होने वाली समस्याओं को विश्लेषित किया गया है। बीज शब्द : साहित्यिक , पुनर्लेखन , इतिहास , गौरवान्वित , अकादमिक , प्रशासनिक , सृजनात्म- कता , समावेश , सार्थकता , आकांक्षा , ऐतिहासिक , प्रतिबिंब , सामंजस्य , चित्तवृति , कालांतर , संकलन , आंकलन , आह्वान , स्वच्छंदतावाद। आ ज हिन्दी साहित्यिक विद्वानों और आलोचकों के बीच हिन्दी साहित्य पुनर्लेखन की समस्या का मुद्दा देखने-सुनने को मिल जाता है। इस समस्या का फलक इतना विस्तृत है कि इसे किसी लेख में बाँधना कठिन है। इसके पुनर्लेखन की समस्या पर विचार करने से पूर्व हमें इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि इतिहास वास्तव में होता क्या है ? साहित्यिक विद्वानों के इतिहास के संदर्भ में किस प्रकार के मत हैं ? अब तक इतिहास लेखन में किन-किन समस्याओं को देखने-समझने का प्रयास किया गया है। इसे लिखने की आवश्यकता क्यों है ? क्या यह साहित्य के लिए उपयोगी है ? इतिहास लेखन में किस प्रकार की सतर्कता बरतनी चाहिए ? किन-किन ऐतिहासिक तत्वों को जोड़ने या घटाने पर हिन्दी साहित्यिक इति
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