छतरपुर। मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन की छतरपुर इकाई द्वारा जनकवि रामजी लाल चतुर्वेदी स्मृति सम्मान 2023, युवा कवि सुनील कुमार शर्मा की कृति हद या अनहद को दिया गया। गांधी आश्रम में आयोजित इस सम्मान समारोह में डॉ सुनील कुमार शर्मा को हिन्दी सम्मेलन की छतरपुर इकाई के सदस्यों द्वारा सम्मान पत्र, शाल श्रीफल और सम्मान राशि के द्वारा अलंकृत किया गया। सम्मान समारोह में जनकवि रामजी लाल चतुर्वेदी पर आधारित पुस्तक "हमारे नन्ना" का लोकार्पण अतिथियों एवम् नन्ना के परिवारजनों के द्वारा किया गया। लोकार्पित ग्रंथ का संपादन डॉ बहादुर सिंह परमार, शिवेंद्र शुक्ला और नीरज खरे द्वारा किया गया है। इस अवसर पर नन्ना का पुण्य स्मरण अतिथियों एवम् उनके संबंधियों द्वारा किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत, महाकवि तुलसीदास, प्रेमचंद, हरिशंकर परसाई, एवम् रामजीलाल चतुर्वेदी के चित्रों पर अतिथियों द्वारा माल्यार्पण एवम् दीप प्रज्वलन के साथ हुई। इकाई के अध्यक्ष नीरज खरे ने समस्त अतिथियों का परिचय कराते हुए उनका पारंपरिक स्वागत कराया। इसके उपरांत कबीर भजन हुआ। इकाई के संयोजक प्रो बहादुर सिंह परमार ने पुरस्कार समारोह भूमिका प्रस्तुत करते नन्ना के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने पुरस्कृत कवि का भी परिचय कराते हुए उनके द्वारा विज्ञान के अद्यतन विषयों पर हिन्दी में आयी हुई उनकी पुस्तकों पर भी चर्चा की।
पुरस्कृत कृति पर युवा आलोचक डॉ. आदित्य विक्रम सिंह ने अपने बात रखते हुए कहा कि सुनील जी कवितायें समकालीन समय की मानवीयता का वितान रचती है। ये कविताएँ मशीनी युग में मानव संवेदना का आख्यान है। यह संग्रह की और कवि की लोकप्रियता है कि विगत दो वर्षों में इसके तीन संस्करण प्रकाशित हो चुके है।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में महान व्यंगकार हरिशंकर परसाई की जनशताब्दी के उपलक्ष्य में प्रेमचंद से परसाई शीर्षक गोष्ठी का आयोजन हुआ। गोष्ठी के क्रेंद्र में समकालीन समय और प्रगतशीलता रही। गोष्ठी में मुख्य वक्ता रूप में अपनी बात रखते हुए राजीव कुमार शुक्ला जी ने परसाई, प्रेमचंद और मुक्तिबोध के विचारों का संयोजन किया। शुक्ल जी का एक लंबा समय इन साहित्यकारों के सानिध्य में बीता है, जिसके स्मरण से कल छतरपुर के साहित्यसुधि सराबोर हुए। परसाई जी के तमाम उद्धरणो को रखते हुए उन्होंने परसाई जी को लोकशिक्षक के रूप में स्थापित किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. सुनील कुमार शर्मा ने जनकवि रामजी लाल चतुर्वेदी का पुण्य स्मरण करते हुए साहित्य सम्मेलन की छतरपुर इकाई को धन्यवाद प्रेषित किया कि इन्होंने उनकी विरासत को बहुत संजो कर रखा है। समकालीन समय पर बात रखते हुए मुख्य अतिथि ने कहा कि साहित्य में निहित साँस्कृतिक तत्वों को बारीकी से पहचानने के लिए मन का साँस्कृतिक परिष्कार ज़रूरी है। समकालीन कविता की लंबी पड़ताल करते हुए उन्होंने समकालीन साहित्य और समय का विवेचन किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पदमश्री बाबूलाल दाहिया जी ने प्रेमचंद और परसाई जी के कई संस्मरण सुनाए, साथ ही उन्होंने बघेली लोकगीत में अपनी बात रखी।
इकाई के अध्यक्ष नीरज खरे ने परसाई जी की तमाम बातों और व्यंगों को अपने संचालन के दौरान बताया। कार्यक्रम में औपचारिक धन्यवाद इकाई की सचिव निदा रहमान द्वारा किया गया। इस अवसर पर नगर के साहित्यप्रेमियों की उपस्थिति रही।
*रिपोर्ट
Comments
Post a Comment