फिल्में समाज का सिर्फ अहम हिस्सा हैं, ये सिर्फ हमारा मनोरंजन नहीं करती बल्कि हमें बहुत कुछ सिखाती भी हैं। जीवन की असंख्य घटनाओं एवं बनते-बिगड़ते संबंधों आदि महत्वपूर्ण विषयों पर बनी फिल्में हमें सिर्फ सोचने के लिए प्रेरित नहीं करती बल्कि जीवन को जीने का सलीका भी सीखा जाती हैं। अन्य कला माध्यमों से विशिष्ट यह विधा तकनीक से लैश दृश्य और श्रव्य दोनों माध्यमों में होने की वजह से देखने वालों को ज्यादा प्रभावित करती है। चित्र : गूगल से साभार एक समय सिनेमा मनोरंजन का सबसे बड़ा माध्यम था। फैंटेसी,एक्शन,लटके -झटके, गानों से भरपूर फिल्में दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींच लाती थीं। टिकट की लंबी कतारें। ब्लैक में टिकट खरीदने का जुनून सब कुछ था।पर हाल के वर्षों में फिल्म और दर्शक दोनों के स्वाद में थोड़ा बदलाव आया है। दर्शकों का एक बड़ा हिस्सा अब जीवन के निकट के विषयों पर बनी फिल्मों में रूचि लेने लगा है। सबसे अच्छी बात यह है कि इन दिनों भारत में बनने वाली कई फिल्में विशुद्ध रूप से जीवन के ज्यादा करीब हैं। ऐसी फिल्मों को पर्दें पर या जादू के पिटारे को खोलते हुए मोबाइ...
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